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हमारी UPA सरकार कितना ही अच्छा कियों न काम कर ले या कितना ही अच्छा बजट बना लेकिन विश्व का सर्वाधिक पढ़े जाने वाले अखबार का दावा करने वाले एक हिंदी अखबार का काम तो हमेशा ही UPA सरकार की सम्पद्किये के माद्यम से आलोचना करनी है … इस बार कितना अच्छा बजट देश की सरकार ने तैयार किया है और ग्रामीद्र विकास की किया अच्छी- अच्छी योजनाये तैयार की है लेकिन उस अखबार को तो उसमे भी मीन मेख नजर आता है.. इसके सम्पद्किये के 365 दिन में से एक भी दिन ऐसा नहीं गया जिस दिन इसने UPA सरकार की आलोचना ना की हो…. अन्ना आन्दोलन को जिस तरह से सुप्पोर्ट करना और UPA सरकार की जिस तरह से हर बात पैर आलोचना करना तो NDA का काम है लेकिन दुभाग्यवस ये काम आज के कुछ अखबार करते नजर आरहे है….और सम्पदिक्ये का मतलब सरकार की सिर्फ आलोचना ही नहीं होता विशेष अब्सरो पर सरकार के गुण-गान करना भी होता है लेकिन उस कार्य से वो अखबार कोसो दूर खड़ा है.
धन्यवाद
राहुल वैश्य
एम. ए. जनसंचार
एवम
भारतीय सिविल सेवा के लिए प्रयासरत
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