- 45 Posts
- 11 Comments
बलात्कार महिलाओं के बिरुद्ध किया जाने वाला वो अपराध है जो महिलाओं को शारीरिक पीड़ा से कही अधिक उनको मानसिक पीड़ा देता है.महानगर मुंबई में बलात्कार जैसे अपराध से पीड़ित एक महिला आज भी कोमा में है जिसके लिए हाल में न्यायलय में इच्छाम्रत्यु तक की मांग की गई थी. उस महिला की पीड़ित दशा से पता चलता है की बलात्कार कितना घिनोना अपराध है जो किसी भी स्त्री को शारीरिक कष्ट से ज्यादा मानसिक कष्ट देकर जिंदगी भर के लिए हाड- मांस का पुतला बना सकता है. हाल ही में पैरामेडिकल छात्रा से हुई दिल्ली में सामूहिक बलात्कार की घटना सभ्य समाज को झकझोर कर रख देने वाली है. गौरतलब है की दिल्ली में पैरामेडिकल छात्रा से हुई सामूहिक बलात्कार की घटना सभ्य समाज में कोई पहली घटना नहीं है बल्कि आज देश में हर रोज औसतन सौं से अधिक महिलायें इस घ्रणित अपराध बलात्कार की शिकार हो रही है पर उन गॉव और छोटे शहरों की पीड़ित महिलायें के विरुद्ध हुए ये घ्रणित अपराध इसलिए हमारे संज्ञान में नहीं आ पाते है क्योंकि या तो मान- सम्मान के खातिर परिवार वालों के दबाब में आकर ऐसे घ्रणित अपराधों को गॉव और छोटे शहरों की पीड़ित महिलाओं के द्वारा ही दवा दिया जाता है या फिर खुद को राष्ट्रीय मीडिया (चैनल) घोषित करने वाले संघठन जिनका सिर्फ दिल्ली या एनसीआर पर ही पकड़ नजर आती है,गॉव और छोटे शहर की पीड़ित महिलाओं के साथ हुए बलात्कार जैसे आपराधों को संज्ञान में लेने के बावजूद भी टीआरपी के फेर में गॉव और छोटे शहरों में जाने से कतराते है. आज हर गली- मौहोल्ले में संत,महात्मा और सन्यासी नैतिकता के प्रवचन देने में लगें हुए है पर फिर भी दुष्टों द्वारा किया जाने वाला ये घ्रणित आपराध कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है.क्योंकि बलात्कार जैसे घ्रणित आपराध को रोकने के लिए कमी हमारे कानून में है.जब तक दुष्ट आपराधियों के मन में इस घ्रणित अपराध को लेकर भय पैदा नहीं होगा तब तक सभ्य समाज को झकझोरने वाले इस घ्रणित अपराध का ग्राफ जरा भी नीचे नहीं आएगा.आज बलात्कार जैसे इस घ्रणित आपराध के लिए सात बर्ष की सजा अपराधियों के लिए वेहद ही कम नज़र आती है क्यों की यह किसी भी महिला के बिरुद्ध वह घ्रणित अपराध है जो उसे जिंदगी भर के लिए हास-मांस का पुतला बना सकता है. अत: दिल्ली में पैरामेडिकल छात्रा से हुए सामूहिक बलात्कार की घटना से सीख लेते हमारे देश की केंद्र सरकार को अब अतिशीघ्र चाहिए की वो अब बलात्कार जैसे इस घ्रणित आपराध को रोकने के लिए संविधान में संशोधन करे और इस अपराध के लिए फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में अपराधियों को उम्रकैद और दुर्लभतम मामलों में सजा-ए-मौत का प्रबधान करे ताकि कल को हर माँ,बेटी,बहु और बहिन दिन हो या रात हर समय सुरक्षित घर लौट सके.
धन्यवाद.
आपका
राहुल वैश्य ( रैंक अवार्ड विजेता),
एम. ए. (जनसंचार),
एवं
भारतीय सिविल सेवा के लिए प्रयासरत
‘फेसबुक’ पर मुझे ज्वाइन करे : vaishr_rahul@yahoo.com
Read Comments