- 45 Posts
- 11 Comments
शिक्षा आज के युग में क्या कमाई का जरिया बन चुकी है इसका एक श्रेष्ट उदहारण है कि मुरादाबाद जिले में १ किलो मीटर कि दूरी पर यूजीसी ने दो प्राइवेट विश्विद्यलयों को मान्यता दे रखी है अल्ला जाने यूजीसी ने मान्यता देने के लिए कितना इन विश्विद्यलयों से चार्ज किया है लेकिन इन विश्विद्यलयों ने कोर्स कि फीस इतनी बना रखी है कि गरीब छात्र के घर के चूले हिल जाए..शिक्षा का व्यवसयकरण में जहां यूजीसी रेवड़ी की तरह प्राइवेट विश्विद्यलयों को स्थापित करा रहा हैं वहीँ प्राइवेट विश्विद्यलय छात्रों की बिना आर्थिक दशा देखे चांदी काट रहे हैं ..जहां तक नेट के सर्टिफिकेट की रेवड़ी की तरह बाटने की बात है तो यूजीसी ऑफिस अधिकारीयों को तो भूल जाइए यूजीसी ऑफिस के बाबू तक ये मानते है की जिस हिसाब से यूजीसी नेट के सर्टिफिकेट रेवड़ी की तरह बाट रहे हैं उसका १० प्रतिशत भी जॉब देश में पैदा नहीं हो पा रही है..यूजीसी सिर्फ देश में नेट का एग्जाम ६ महीने में इसलिए करा रहा है कि उसकी आर्थिक स्तिथि सुदृढ़ बनी रही. नेट की बेरोजगारी प्रतिशतता से उसे कोई लेना देना नहीं हैं ..अब तो भगवन ही मालिक है इस देश में नेट की बेरोजगारी का और शिक्षित बेरोजगारी का…
धन्यवाद
द्वारा – राहुल वैश्य ( रैंक अवार्ड उपविजेता),
एम. ए. जनसंचार (राज्य पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण, हिमाचल लोक सेवा आयोग)
Read Comments